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मेरा बदन मेरा नहीं! – A rhyming prose piece.


The image is generated by ChatGPT.
Both ChatGPT and Google Gemini refused to translate into English. Sorry.

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मेरा बदन मेरा नहीं
इस पर दूसरों का घेरा है
जन्मदिन से ही
जीवन मेरा अधूरा है।

घर में एक पुत्र की आशा थी
पुत्री से माहौल बदल गया
मात्र-पिता सोच विचार में संगीन
चेहरे से रंग उतर गया ।

मैं छोटी उम्र की लड़की नादान थी
रीति-रिवाज से अनजान थी
एक रिश्ता आया जहां से, मात्र पिता को
उस परिवार की अच्छी पहचान थी।

मेरा निश्चय था
शादी नहीं करूंगी
लेकिन मात्र-पिता के आदेश में
बिन चाहे भी अपनी मांग भरूंगी।

शिक्षक बनने की इच्छा थी
ससुराल वालों ने मना कर दिया
मेरी शिक्षा को अग्नि में समर्थन, और
आशाओं की ज्वाला को बुझा दिया ।

बच्चे मुझे बहुत भाते हैं
लेकिन अपनों से दिल – आज़ार
यहां भी मेरी किसी ने ना सुनी
उन्हें तो एक पोते का था इंतज़ार ।

मेरे पति ने मेरा साथ नहीं दिया
मेरे बदन का अपहरण किया
मेरे जिस्म पर अत्याचार किया
मर्द की पूंजी कर बलात्कार किया।

जब पता लगा कन्या मेरे गर्भ में है
मुझे यकीन था यह गर्भपात कराएंगे
डॉक्टर की सलाह से शायद यह डर गए
जिंदगी भर अब यह मुझे नीचा दिखाएंगे।

मैं निर्दोष, लेकिन मुझे दोष मिला
मैंने कन्या को जन्म दिया
मेरे पति का भी तो इसमें हाथ था
मैंने अकेले आशाओं को दफन नहीं किया।

यह तो जन्म जन्म की कहानी है
यह नई-नहीं, बहुत पुरानी है
औरत का जिस्म उसका नहीं
हर शरीर पे “कन्याचार” की निशानी है।

एक दिन समाज बदलेगा
लेकिन मेरे जीवन में नहीं
जिस्म का मर्दों ने व्यापार किया
दुर्भाग्यवश, खरीदारों की कमी नहीं।

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