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सम्वत्सर आगमन (Annual Arrival) – A Hindi Poem

We are introducing a new poet on our website.  His name is Umesh Agarwal.  He lives in Kanpur India. He is married to one of my cousins.  Please join us in welcoming him to BuddingPoetsCorner.com

He writes poems in Hindi – a language spoken in the northern part of India.  It is India’s national language. Hindi is my mother tongue as well.

— Ashok Gupta

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सम्वत्सर आगमन

कुंडी खड़की,सांकल खोली,
मुखचंद्र चंद्रिका आन खडी।
शुभदर्शन ,शुभ श्रंगार-रती,
नखशिख सुन्दर अरु प्रेमपगी।

बोली, आयी स्वागत कर लो,
हूं सम्यक् बस नजरें भर लो।
तत्क्षण हूं अर्पण को प्रस्तुत
श्रंगार वीरबाला विस्तृत।

मै चकित चेत बस देख रहा,
मन में फूटे लड्डू अनेक।
अस्फुट सा बोला ईश्वर ने,
दे डाला बिन मांगे विशेष।

बोला, परिचय हो शुभनयने,
अभिनंदन है,सुन्दर बयने।
सत्कार हार स्वीकार करो,
मुझ पापी पर भी दृष्टि धरो।

बोली, मै हूं नव संवत्सर,
आलिंगन कर हे वीर प्रवर।
दे सकती मैं उपहार सकल,
हूं चंचल चलती मैं अविरल।

मेरे आंचल से बधा हुआ,
मेरे चरणों मे पडा हुआ,
मै समय स्वंबर को प्रस्तुत,
मुझमें सारा संसार गुथा।

इस पल का हे! सत्कार करो,
जीवन को नयनो में भर लो।
जो भी है बस एक यह पल है,
बीते न रहे, यह वह पल है।

 


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