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My Love – a poem in Hindi (Ashok’s native tongue)


ओ मेरे हमसफर
कितने दिन से थी मेरी नज़र
तुम पर।

सपनों में तो आए तुम कई बार
बातें भी हुई तीन चार
आंखें भी मिली एक दो बार
लेकिन इससे आगे नहीं बढ़े एक भी बार।

इस जीवन का क्या भरोसा
आज है कल नहीं
ऐसा लगता है हम यूं ही रह जाएंगे
तुमसे मिलने का क्षण आएगा नहीं।

चलो सपनों में तो मिल लिए
यही स्मृति रहेगी जब चिता पर शरीर होगा
तुम्हारी याद मेरी आत्मा के साथ चली जाएगी
केवल पार्थिव शरीर निष्प्राण  पड़ा रहेगा।

तुम्हारे चाहने वाले तो होंगे बहुत सारे
लेकिन बस एक ही तुम हो हमारे
तुमने हमको परखा नहीं अन्यथा
बाकी सब शोक में मर जाते बेचारे।

हमारा न मिलाना हम दोनों की क्षति है
तुमको तो इसका जरा भी ज्ञान नहीं
अगर तुमने थोड़ी सी भी कोशिश की होती
हमारा मिलन हो जाता यहीं के यहीं।

जीवन में ऐसा अक्सर होता है
मन को संतोष करना पड़ता है
जो चीज़ बहुत चाहो, नहीं मिलती
ऐसी चीज़ का मूल्य अमूल्य होता है।

इस जन्म में तो हम तुम को पा ना सके
नए जन्म में ही मिलना संभव होगा
हमको पूरा विश्वास है हम तुम मिलेंगे
जो जीवन  में तुम्हें नहीं मिला उसका एहसास होगा।

जब तक हम ना मिलें , अलविदा।

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